Indians! Please Come to Russia
नमस्कार वेलकम टू स्टडी आक्यू मैं हूं प्रशांत भवन नाउ जब से इजराइल ने बहुत सारे इंडियन वर्कर्स को इंपोर्ट किया है और इजराइल इंडिया का यह जो एक एग्रीमेंट है सक्सेस साबित हुआ है दुनिया के बहुत सारे देश सेम चीज रिपीट करना चाहते हैं इंक्लूडिंग रशिया नाउ रिसेंटली हमने देखा कि रशिया के जो फर्स्ट डेप्युटी प्राइम मिनिस्टर हैं यह भारत में आए यहां पे आप देख पाओगे डेप्युटी पीएम डेनिस मंत्रो को इंडिया में वेलकम किया गया पीएम मोदी से की मीटिंग हुई डॉर एस जय शंकर से ये मिले और बहुत सारी इंपॉर्टेंट अनाउंसमेंट्स भी हुई पिछली वीडियो में आपको याद है मैंने आपको यह बताया था कि ट्रंप के आने से भारत और यूएसए के फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होने के चांसेस काफी हद तक खुल जाते हैं रशिया इस बात को लेकर काफी हद तक अवेयर है और इसलिए अब रशिया भी ओपनली कह रहा है कि हम कमिटमेंट करते हैं भारत के साथ कि जल्द ही भारत और रशिया के बीच में भी एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होगा।
यह देखिए इनको इसलिए भी करना पड़ा क्योंकि भारत के विदेश मंत्री डॉ एजय शंकर ने ओपनली यह बात रशियन गवर्नमेंट के साथ शेयर करी कि देखिए हमारे रिलेशंस बहुत अच्छे हैं सब बहुत अच्छा है मगर जो ट्रेड डेफिसिट है आपके और हमारे बीच में यह बहुत ज्यादा है। दोनों कंट्रीज का ट्रेड 66 बिलियन डॉलर का तो पहुंच चुका है मगर इसमें 90 पर से भी ज्यादा सिर्फ इंडिया परचेज कर रहा है रशिया से आप लोग हमसे कुछ भी परचेज नहीं कर रहे।
ये जो छोटी सी क्लिप है यह मैं चाहता हूं आप देखें एक्सीलेंसी। इरल ट्रेड नाउ एमेड ड 66 बिलियन गोल टट नीड ू बी मोर ब एट विल रिक्वायर एड्रेस करट क एंड अंडरटेकिंग ग्रेटर फैसिलिटेट ए मेकिंग इट इयर टू ड ट्रेड शड बी अंप बाय प्रोग्रेस इन नेगोशिएशन न द इंडिया यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन एफ ना।
यह बात देखिए रशिया के साथ रेस करना बहुत इंपोर्टेंट है जयशंकर साब ने साफ बोलिए कि भारत और रशिया का ओवरऑल ट्रेड ये 100 बिलियन डॉलर्स पहुंचने वाला है 2030 के आसपास ही 100 बिलियन डॉलर्स का ट्रेड आप देखोगे बिटवीन इंडिया एंड रशिया क्योंकि चाहे जिओ पॉलिटिकल सिचुएशन जो भी हो इंडिया रशिया से क्रूड ऑयल इस तरीके से परचेज करता रहेगा।
बट मैं अब यहां पर यह कहूंगा डोनाल्ड ट्रंप के आने से ना एक उम्मीद यह बन गई है कि रशिया यूक्रेन वॉर खत्म होगी रशिया को स्विफ्ट सिस्टम के अंदर वापस एंट्री मिलेगी और रशिया को जो इंडिया पेमेंट पहले करता था वह कर पाएगा और रशिया भी इंडिया को पेमेंट्स आसानी से कर पाएगा।
तो इस वजह से अब इंडिया ओपनली कह सकता है रशियंस को कि हमसे भी आप चीजें परचेस करिए हम बहुत कुछ एक्सपोर्ट करते हैं बाय फ्रॉम अस। यहां पर आप देख पाओगे अर्जेंट रेड ड्रेसल ऑफ इंडिया रशिया वन साइडेड बैलेंस ऑफ ट्रेड नीडेड इंडिया ने कैटेगरी कली कहा है कि ट्रेड एक तरफा हो रहा है ओनली वी आर बाइंग फ्रॉम यू यू आर नॉट बाइंग फ्रॉम अस।
बट प्रॉब्लम देखो यहां पर यही है जब आप किसी को यह हूं ना बार-बार बाय फ्रॉम अस बाय फ्रॉम अस यह कुछ ऐसे ही है कोई यूटर जनता को बोले कि मेरी वीडियो देखो मेरी वीडियो देखो एक बार को तरस खाके कुछ लोग देख लेंगे बट लॉन्ग टर्म में अगर उसके कंटेंट में बात है तभी लोग उसके पास वापस आएंगे।
कोई रेस्टोरेंट है कोई कोई भी कंपनी है अगर जेनुइनली वो अच्छे प्रोडक्ट्स बना रही है जो एक सर्टेन कंट्री को चाहिए उनकी आबादी को चाहिए और उन प्रोडक्ट्स में स्टैंडर्ड्स हैं तो अपने आप आप कह लीजिए बिकना स्टार्ट हो जाएगा। बट इंडिया अपनी तरफ से कोशिश कर रहा है हर तरफ से कि रशिया ज्यादा इंडिया से परचेस करें ताकि ट्रेड डेफिसिट कम हो।
क्योंकि इंडिया देखिए रशिया से बहुत कुछ डिफेंस आइटम्स भी इन द फ्यूचर हो सकता है परचेज करें। बात ये भी चल रही है कि जो एयर डिफेंस सिस्टम व्लादिमीर पुतिन की रक्षा की मेन जिम्मेदारी उठाता है द लीथल पेंसर सिस्टम ये हो सकता है कि भारत परचेज करे रशिया से या फिर दोनों कंट्रीज इसका एक इंडियन वर्जन बनाकर इंडिया में मैन्युफैक्चर करें इसकी भी बातचीत चल रही है इस पर और डिटेल सामने आएंगे इन द फ्यूचर।
तो मैं आपके लिए बाद में वीडियो बनाऊंगा बट रशिया ने अभी के लिए एक सलूशन यह निकाला है कि अच्छा ठीक है आप भी चाहते हैं कि आपके पास भी करेंसी आए फॉरेन करेंसी आए तो इसका एक संविधान यह है रशिया की आबादी गिर रही है जैसे आप सब लोग जानते हैं।हां पे फैमिली सिस्टम रशिया का काफी अजीब सा है लोग शादियां करते नहीं है। शादिया करते भी हैं तो डिवोर्स रेट रशिया में बहुत हाई है लोग बच्चे परा करते नहीं हैं और आबादी वहां पे इतनी तेजी से गिर रही है कि रशिया को वर्कर चाहिए।
और रशिया ने यह कहा है कि यह लोग चाहते हैं कि इंडियंस ह्यूज स्केल पर रशिया में आकर का काम करें रशियन कंपनीज के लिए काम करें और इससे रशिया का भी फायदा होगा इनको बहुत सारे वर्कर्स मिल जाएंगे स्किल्ड अनस्किल्ड वेरियस टाइप के वर्कर्स।
बट प्रॉब्लम देखो बहुत सारी है। यह सुनने में बहुत अच्छा लगता है कि रशिया हमारा मित्र मुल्क देखिए व्लादिमीर पुतिन तो हमको ग्लोबल पावर कहते हैं और सब बढ़िया है।
ग्राउंड लेवल पे अगर हम देखें ना तो प्रॉब्लम्स बहुत सारी आएंगी नंबर वन प्रॉब्लम आने वाली है लैंग्वेज की। और इसलिए डेप्युटी रशियन पीएम ने यह सुझाव दिया है कि हमें काम करेंगे पहले इन इंडियंस की ट्रेनिंग होगी इन इंडिया रशियन ट्रेनर्स रशिया से इंडिया में आएंगे।
ओबवियसली भाषा की ट्रेनिंग देनी पड़ेगी वेरियस और टाइप की स्किल्स रिक्वायरमेंट जो है यह भी पूरी की जाएगी और उसके बाद यह इंडियंस रशिया में जाकर काम कर सकते हैं।
और वैसे मैं आपको यह बता दूं रशिया की एवरेज इनकम आप देखोगे कुछ खास नहीं है बट आप स्पेसिफिकली मॉस्को देखो। मॉस्को अलग है बाकी रशिया मैं कहूंगा अलग काफी अलग इकोनॉमिक लेवल पे है।
मॉस्को में लोग आराम से ढ 2 लाख कमा लेते हैं महीने के तो बहुत सारे इंडियंस के लिए जो ढूंढ रहे हैं ज्यादा अच्छी नौकरी जो पैसा सेव करना चाहते हैं जो अपना करियर स्टार्ट करना चाहते हैं पर हैप्स एक अच्छा ऑप्शन ये हो सकता है।
बट इसमें भी देखो एक और बड़ी प्रॉब्लम यह है रशिया का पेमेंट सिस्टम अभी क्या है कि वीजा मास्टर कार्ड यह सब रशिया में चलते नहीं है। इंडियन बैंक्स यह रशिया के साथ कोई भी ट्रांजैक्शंस नहीं करना चाहते।
यहां तक कि देखो जो इंडियन टूरिस्ट भी है ना ये भी जब रशिया में जाते हैं तब अब इनको डॉलर्स यूज करने पड़ते हैं। जी हां अनऑफिशियली डॉलर्स यूज करने पड़ते हैं।
डॉलर से वो रशियन करेंसी एक्सचेंज करते हैं वहां पर और कैश में उनको यूज करना पड़ता है अपना पैसा या फिर किसी रशियन बैंक में अकाउंट खोल के यूज करना पड़ता है।
बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड प्रोसेस है जिस तरीके से एक इंडियन बस एक क्रेडिट कार्ड लेकर वियतनाम घूम के आ जाता है या फिर कोई और एशियन कंट्री घूम के आ जाता है। सेम सिचुएशन आपको रशिया में नहीं मिलेगी।
तो वर्कर्स के साथ भी यही प्रॉब्लम आएगी। वर्कर्स को तनख्वा तो मिल गई वहां पर रशिया में फिर रूबल्स को वह इंडिया में लेकर आएंगे। यहां पर बैंक्स कंप्लेन करेंगे कि कैसे ट्रांजैक्शन करें क्योंकि रशिया अभी स्विफ्ट में है नहीं।
तो यह सारा जो प्लान है यह रियलिटी में तभी कन्वर्ट हो पाएगा जब रशिया पर से जो स्विफ्ट के सैंक्शंस हैं यह हटेंगे इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन सिस्टम में रशिया वापस लौटेगा।
इंडियन बैंक्स वापस कोऑपरेट कर पाएंगे रशियन बैंक्स के साथ तभी हो पाएगा नहीं तो आईडिया अच्छा है बट ग्राउंड रियलिटी में कुछ इसका इंपैक्ट आप देखोगे नहीं।
इजराइल कंपलीटली डिफरेंट केस है एक इंडियन वर्कर इजराइल में या फिर इवन यूएई में या सऊदी अरेबिया में वहां पर जा सकता है काम करेगा उनकी करेंसी कमाए और फिर रेमिटेंस के जरिए बैंक्स के जरिए वह पैसा अपने घर में पहुंचा सकता है।
रशिया में अभी के लिए वह सिस्टम है नहीं तो या तो ट्रांजैक्शन के लिए कोई सिस्टम बनाया जाएगा या फिर रशिया को स्विफ्ट में वापस लाएंगे।
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